बच्चों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं एक कछुवा और दो हंसों की कहानी। इस कहानी को ध्यान से पढ़िये और हमें बताइये की आपको इस कहानी से क्या शिक्षा मिली। 


कछुआ और हंस की कहानी - बातूनी कछुवा 

एक बड़े से तालाब में एक कछुआ रहता था। उस तालाब में दो हंस भी रोज पानी पीने आया करते थे। इस दौरान तीनों खूब बातें भी करते। धीरे धीरे तीनों में गहरी मित्रता हो गयी।


एक बार कम बारिश के कारण उस क्षेत्र में सूखा पड़ गया और नदी - तालाब सूखने लगे। उस तालाब का पानी भी कम हो गया। इस बात से अब कछुआ और दोनों हंस चिंतित होने लगे।

कछुए ने कहा- मित्रों, तालाब का पानी तो बहुत कम हो गया है, अब बचा हुआ पानी भी ज्यादा दिन नहीं चलेगा। अब हमें जल्दी ही कोई नया तालाब खोजना चाहिए जिसमें हम आराम से रह सकें।

अगले दिन दोनों हंस एक नये तालाब की तलाश में उड़ जाते है, और वापस आकर कछुए को बताते हैं।

एक हंस बोला- मित्र...! आज हम एक बड़ा सा तालाब खोजकर आये हैं, जो यहां से बहुत दूर है। उसमें अभी काफी पानी हैं। इसलिए हम वहां आराम से रह सकते हैं। अब हमें जल्दी ही यहाँ से चलने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

लेकिन अब समस्या यह थी कि दोनों हंस तो उड़कर जा सकते थे, लेकिन कछुआ तो उड़ना नहीं जानता था।

इस समस्या से निपटने के लिए कछुए ने एक सुझाव दिया की दोनों हंस एक बड़ी सी लकड़ी को दोनों किनारों से पकड़ लेंगे और कछुआ उस लकड़ी को बीच में से अपने मुँह से पकड़ लेगा।

दोनों हंस इस उपाय पर सहमत हो गए, लेकिन एक हंस ने कछुए को समझाया मित्र इसमें खतरा भी बहुत है, बस तुम लकड़ी को मजबूती से मुँह में दबाकर रखना और बिल्कुल भी मुँह मत खोलना।

कछुए ने अपनी हामी भर दी और अगले दिन उस तालाब को छोड़कर जाने का निर्णय लिया। 

अगले दिन सुबह - सुबह  दोनों हंसो ने एक सीधी लकड़ी का सिरा दोनों छोर से पकड़ लिया और बीच में कछुए ने उस लकड़ी को अपने मुँह में दबा लिया। उड़ने से पहले फिर एक हंस ने कहा - मित्र चाहे जो भी हो जाये, तुम अपना मुँह मत खोलना। कछुए ने हां का इशारा किया और दोनों हंस उड़ पड़े।


उड़ते हुए तीनो जब एक गांव के ऊपर से गुजर रहे थे तो गांव के लोगों ने कहा – अरे देखो वो दोनों हंस कितने होशियार हैं, उस बेचारे कछुए को कैसे उड़ाकर ले जा रहे हैं। हमने इससे पहले कभी ऐसा नहीं देखा।

गांव वालों की ये बातें सुनकर कछुए ने सोचा, ये तरकीब तो मैंने हंसों को बताया है और ये मुर्ख गाँव वाले हंसों को होशियार कह रहे है। जब कछुए से रहा न गया तो उसने बोलने के लिए मुँह खोला, और जैसे ही उसने अपना मुँह खोला लकड़ी उसके मुँह से छूट गया और वो जमीन की तरफ तेजी से गिरने लगा। जमीन पर गिरने से उसके प्राण पखेरू उड़ गए।


ये देखकर दोनों हंसो को बहुत दुःख हुआ, लेकिन अब वो कुछ नहीं कर सकते थे। अब उन्होंने आगे बढ़ना ही उचित समझा।


तो बच्चों ये कहानी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बतायें।