बच्चों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं एक घमंडी खरगोश और कछुआ की कहानी। इस कहानी को ध्यान से पढ़िये और हमें बताइये की आपको इस कहानी से क्या शिक्षा मिली।
घमंडी खरगोश और कछुआ
एक समय की बात है। एक जंगल में कछुआ और खरगोश रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे परन्तु खरगोश अपने तेज दौड़ने पर बहुत इतराता था और कछुए की धीमी चाल का अक्सर मजाक उड़ाता था।
लेकिन कछुआ खरगोश की बातों को अनसुना कर देता था। एक दिन बातों ही बातों में दोनों ने दौड़ का मुकाबला करने का फैसला किया कि दोनों में से कौन पहले दौड़ पूरी करता है और जो पहले दौड़ पूरी करेगा वो ही विजेता माना जायेगा।
अब दौड़ लगाने का समय आया तो जंगल के अन्य जानवर भी प्रतियोगिता देखने आ पहुंचे। कछुआ और खरगोश दोनों पहले से ही तैयार थे। तभी बंदर ने सीटी बजायी और प्रतियोगिता शरू हो गयी।
खरगोश तो था ही तेज दौड़ने में माहिर इसलिए वो लम्बी-लम्बी छलांगे मारता हुआ जा रहा था। थोड़ी दूर जाने के बाद खरगोश ने पीछे देखा तो दूर - दूर तक कछुए का कोई अता पता नहीं था। उसने अब कछुए को काफी पीछे छोड़ दिया था।
अब खरगोश ने सोचा कि कछुआ तो धीरे - धीरे आ रहा है, मैं उससे काफी आगे निकल गया हूँ। थोड़ी देर आराम कर लेता हूँ।
खरगोश पास ही एक पेड़ की छाया में सुस्ताने लगा। ठंडी ठंडी हवा के कारण थोड़ी ही देर में खरगोश को गहरी नींद आ गयी।
इधर कछुआ धीरे - धीरे लगातार आगे बढ़ता हुआ जा रहा था। चलते - चलते अब वो खरगोश के नजदीक आ पहुंचा। गहरी नींद के कारण खरगोश अब भी सोता रहा और कछुआ उससे आगे निकल गया।
काफी देर तक सोने के बाद अचानक कछुए की नींद खुली तो उसने देखा कि कछुआ तो बहुत आगे निकल गया है और अपनी मंजिल तक पहुंचने ही वाला है।
खरगोश ने सोचा, कैसे भी करके इस दौड़ को जीतना ही पड़ेगा वरना जंगल के सभी जानवर मेरा मजाक उड़ाएंगे। खरगोश अपनी पूरी ताकत लगाकर तेज दौड़ने लगा, लेकिन फिर भी समय से नहीं पहुँच पाया क्यूंकि कछुआ पहले ही अपनी मंजिल तक जा पहुंचा था।
कछुआ अब ये प्रतियोगिता जीत चुका था, इसलिए सबने उसे बधाई दी और विजेता घोषित किया गया।
कछुए से हारने के बाद खरगोश ने हमेशा के लिए उसका मजाक उड़ाना बंद कर दिया।
तो बच्चों ये कहानी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बतायें।
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