बच्चों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं एक ईमानदार लकड़हारे की कहानी। इस कहानी को ध्यान से पढ़िये और हमें बताइये की आपको इस कहानी से क्या शिक्षा मिली।


ईमानदार लकड़हारा

किशनपुर गांव में बंशी नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत गरीब था, परन्तु स्वभाव से ईमानदार था। वह जंगल से रोज लकड़ियाँ काटकर लाता और उन्हें शहर में बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करता था। इसी तरह उसका समय गुजर रहा था। 

हर दिन की तरह वो एक दिन जंगल में लकड़ियाँ  लेने गया और नदी किनारे एक बड़े से पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ काटने लगा। वह पेड़ से लकड़ियाँ काट ही रहा था कि अचानक कुल्हाड़ी उसके हाथ से छूटकर नदी के गहरे पानी में जा गिरी। 


एकाएक इस घटना से बंशी स्तब्ध रहा गया, क्यूंकि उसके पास सिर्फ वही एक लोहे की एक ही कुल्हाड़ी थी। उसके पास इतना धन भी नहीं था जिससे वो एक नया कुल्हाड़ी खरीद पाता। अब उसके बिना वो कैसे लकड़ियाँ काटेगा। और ऐसे हालत में तो वो और उसका पूरा परिवार भूखे मर जायेगा। ये सोचकर बंशी जोर - जोर से रोने लगा। 

तभी नदी में से जल देवता प्रकट हुए और बंशी से उसके रोने का कारण पूछा। बंशी ने जल देवता को अपनी सारी बात बताई। तो जल देवता ने कहा कि बंशी तुम चिंता मत करो। मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी पानी में से ढूंढ़कर बाहर लाता हूँ। 

ये कहकर जल देवता ने पानी में डुबकी लगायी और अपने साथ चमचमाती एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आये। जल देवता ने बंशी से कहा - बंशी ये लो तुम्हारी कुल्हाड़ी। 


बंशी ने चाँदी की कुल्हाड़ी देखकर कहा कि नहीं भगवन ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैं।

ये सुनकर जल देवता फिर से पानी में गए और इस बार वो चमचमाती सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आये और बोले – “बंशी ये लो आखिर तुम्हारी कुल्हाड़ी मिल ही गयी।”

इस बार भी बंशी ने यह कहकर मना कर दिया कि वो सोने की कुल्हाड़ी उसकी नहीं है। 

एक बार फिर जल देवता ने पानी में डुबकी लगायी और अबकी बार वो अपने साथ एक लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आये। 

ये देखकर बंशी प्रसन्नता से बोल उठा – “हां भगवन!!! ये ही मेरी कुल्हाड़ी है।

बंशी की इस ईमानदारी को देखकर जल देवता बेहद प्रसन्न हुए और कहा – “बंशी मैं तुम्हारी ईमानदारी से बेहद प्रसन्न हूँ। इसलिए अब ये तीनों कुल्हाड़ियाँ उपहार स्वरूप मैं तुम्हे देता हूँ। लो इन्हें स्वीकार करो, और सदा सुखी रहो।”

जल देवता बंशी को तीनों कुल्हाड़ियाँ देकर अंतर्ध्यान हो गए।


बंशी अपने घर वापस आ गया और अपने परिवार को इस घटना के बारे में बताया। उसके परिवार के लोग भी बहुत प्रसन्न हुए और जल देवता के आशीर्वाद से खुशी - खुशी जीवन व्यतीत करने लगे।


तो बच्चों ये कहानी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बतायें।