बच्चों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं एक शेर और चूहे की कहानी। इस कहानी को ध्यान से पढ़िये और हमें बताइये की आपको इस कहानी से क्या शिक्षा मिली।
शेर और चूहे की कहानी
एक समय की बात है। जंगल का राजा शेर एक पेड़ के नीचे गहरी नींद में सोया हुआ था। तभी वहां एक चूहा आया और शेर को गहरी नींद में सोया हुआ समझकर उसके पास आकर उछलकूद करने लगा।
इस दौरान चूहा कभी शेर की पीठ पर उछलता तो कभी उसकी पूंछ को खींचता। चूहे की लगातार इस उछलकूद के कारण अचानक शेर की नींद खुल गयी और उसने अपने पंजो से चूहे को पकड़ लिया।
शेर ने गुस्से में कहा – “मुर्ख चूहे! तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे नींद से जगाने की? ले अब मैं तुझे इसकी सजा देता हूँ। मैं तुझे अभी कच्चा चबा जाऊंगा।”
यह सुनकर चूहा डर के मारे कांपने लगता है और वो डरते - डरते शेर से कहता है – “ऐसा मत करो महाराज!! मुझे मत खाओ, मुझसे गलती हो गई। और वैसे भी मैं तो बहुत छोटा हूँ जिससे आपकी भूख भी नहीं मिटेगी। मुझ पर दया करो महाराज शायद किसी दिन मैं आपकी कोई मदद कर सकूँ”
शेर ने मन ही मन सोचा कि इतना छोटा सा चूहा मेरी क्या मदद कर पायेगा लेकिन फिर भी चूहे को विनती करते देख शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को छोड़ दिया।
इसके कुछ दिनों बाद शेर एक शिकारी के जाल में फंस जाता है और उस जाल से बाहर निकलने के लिए खूब कोशिश करता है, लेकिन वो जितना ज्यादा प्रयास करता उतना ही ज्यादा जाल में फंसता जाता है। अब शेर जोर - जोर से दहाड़ने लगता है। शेर की दहाड़ जंगल में दूर - दूर तक सुनाई देने लगी। जब शेर की ये दहाड़ चूहे ने सुनी तो उसने सोचा कि जरूर जंगल का राजा मुसीबत में हैं।
चूहे ने तुरंत उस आवाज की दिशा में दौड़ लगा दी और पास जाकर उसने देखा कि शेर तो सचमुच मुसीबत में है। उसने शेर से कहा कि महाराज आप चिंता बिल्कुल न करें। मैं अभी इस जाल को अपने दातों से काटकर आपको मुक्त कराता हूँ।
थोड़ी ही देर में चूहे ने उस जाल को अपने पैने दातों से काटकर शेर को मुक्त करा लिया। शेर चूहे के इस काम से बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने चूहे से कहा – “दोस्त मैं तुम्हारा ये एहसान कभी नहीं भूलूंगा, तुमने आज मेरी जान बचाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है।”
चूहे ने कहा कि महाराज एहसान तो उस दिन आपने मेरी जान बख्शकर मुझ पर किया था। यदि आप उस दिन मुझ पर दया नहीं दिखाते तो आज शायद मैं आपकी मदद नहीं कर पाता।
चूहे की बात सुनकर शेर एक बार फिर से मुस्कुराया और बोला – “आज से तुम ही मेरे सच्चे मित्र हो।”
तो बच्चों ये कहानी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बतायें।
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